सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) का अर्थ
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching)
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) का सिद्धान्त 20 वीं सदी की देन है जिसके जन्मदाता ‘डी० डब्ल्यू ऐलन’ को माना जाता है।
सूक्ष्म शिक्षण अध्यापक प्रशिक्षण की एक लघु प्रक्रिया है जिसमें शिक्षण परिस्थितियों को सरल रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिसके अंतर्गत विशिष्ट कौशल का अभ्यास किया जाता है। कक्षा का आकार शिक्षण का कालांश तथा प्रकरण का लघु रूप होता है।
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) का अर्थ
सूक्ष्म को अंग्रेजी में micro कहते हैं तथा हिन्दी में लघु कहते हैं। यह शिक्षण में जुड़ने के बाद सूक्ष्म शिक्षण कहलाता है। जिसमें कक्षा – कालांश शिक्षण क्रियाएँ सूक्ष्म रूप से कार्य करती है।
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) की परिभाषा
डी० एलन के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण समस्त शिक्षण को लघु क्रियाओं में बाँटना है।”
बी० एम० शोर के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण कम अवधि, कम शिक्षण क्रियाओं वाली प्रविधि है।”
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) के सिद्धान्त
यह वास्तविक कौशल है।
इसमें एक समय में एक ही कौशल के प्रशिक्षण पर बल दिया जाता है।
अभ्यास की प्रक्रिया पर नियंत्रित रखा जा सकता है।
पृष्ठपोषण के प्रभाव की परिधि विकसित होती है।
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) के उद्देश्य
सूक्ष्म शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य हैं जो नीचे दिये गए हैं –
छात्राध्यापक में आत्मविश्वास की भावना में बृद्धि होती है।
छात्राध्यापक को एक – एक करके विभिन्न कौशल शिक्षण में निपुणता प्राप्त होती है।
छात्राध्यापक द्वारा जो त्रुटियाँ शिक्षण में की गई हैं उनको दूर करने का पूर्ण अवसर मिलता है।
छात्राध्यापक को तुरंत ही पृष्ठपोषण प्राप्त हो जाता है।
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) की विशेषताएँ
सूक्ष्म शिक्षण के द्वारा कम समय में अधिक दक्षता प्रदान किया जाता है।
सूक्ष्म शिक्षण में शिक्षण के तत्व को सूक्ष्म स्वरूप दिया जाता है।
सूक्ष्म शिक्षण के द्वारा शिक्षकों में व्यावसायिक परिपक्वता का विकास होता है।
सूक्ष्म शिक्षण के द्वारा छात्रों को तत्काल प्रतिपुष्टि प्राप्त हो जाती है।
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) के आवश्यकता एवं महत्व
सूक्ष्म शिक्षण के निम्नलिखित आवश्यकता एवं महत्व हैं जो नीचे दिये गए हैं –
सूक्ष्म शिक्षण अत्यन्त लचीली प्रविधि है जो विषय एवं परिस्थितियों के आधार पर व्यवस्थित होती है।
पाठ्य अवधि तथा विषयों की जटिलताओं को दूर करने के लिए सूक्ष्म शिक्षण अति आवश्यक है।
सूक्ष्म शिक्षण के द्वारा छात्रों में आए परिवर्तन के आधार पर तुरंत ही पृष्ठपोषण प्रदान हो जाता है।
सूक्ष्म शिक्षण विशिष्ट परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए आवश्यक है।
सूक्ष्म शिक्षण (micro teaching) की अवस्थाएँ
1.ज्ञान प्राप्ति अवस्था
2.कौशल प्राप्ति अवस्था
3.स्थानांतरण अवस्था
4.ज्ञान प्राप्ति अवस्था
ज्ञान प्राप्ति अवस्था में छात्राध्यापक विभिन्न शिक्षण कौशलों का ज्ञान प्राप्त करता है जिसका उसे प्रशिक्षण प्राप्त करना है।
कौशल प्राप्ति अवस्था
कौशल प्राप्ति अवस्था में छात्राध्यापक प्रदर्शन पाठ को देखने के बाद सूक्ष्म शिक्षण हेतु पाठ्य योजना का निर्माण करता है। तथा तब तक उस कौशल का अभ्यास करता है जब तक वह उस कौशल में दक्षता प्राप्त न कर ले।
इस अवस्था के दो घटक महत्वपूर्ण हैं –
1.प्रतिपुष्टि अवस्था
2.सूक्ष्म शिक्षण नियोजन अवस्था
3.स्थानान्तरण अवस्था
स्थानान्तरण अवस्था में छात्राध्यापक सूक्ष्म शिक्षण द्वारा सीखें गए कौशलों का वास्तविक कक्षा की परिस्थितियों में स्थानान्तरण करता है। तथा शिक्षण क्रिया को पूर्ण करता है।
सूक्ष्म शिक्षण चक्र
micro teaching chakra
सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया
पाठ्ययोजना निर्माण
छात्राध्यापक को शिक्षण कौशल (वर्णन करना, व्याख्या करना, प्रश्न पूंछना आदि) किसी एक कौशल जिसे प्रशिक्षण के दौरान सीखना होता है कि सूक्ष्म शिक्षण पाठ्ययोजना तैयार की जाती है।
कक्षा शिक्षण
छात्राध्यापक छोटे पाठ को सहयोगी छात्रों को 5 से 10 मिनट तक पढ़ाता है जिसे शिक्षण सत्र कहते हैं।
प्रतिपुष्टि
छात्राध्यापक द्वारा पढ़ाये गए पाठ का प्रवेक्षक द्वारा विकसित मूल्यांकन प्रपत्र में दी गई जानकारी जिसमें छात्राध्यापक द्वारा शिक्षण में छोड़ी गई कमियों का उल्लेख होता है। इस प्रतिपुष्टि से छात्राध्यापक अपने कमियों को सुधारता है।
पुनः पाठ्यनिर्माण
प्रतिपुष्टि के तुरंत बाद छात्राध्यापक अपने पाठ्य को पुनः नियोजित करता है इस क्रिया को पुनर्योजन सत्र कहते हैं।
पुनः योजना
पुनः योजना के पश्चात पुनः योजित पाठ दूसरे समूह पर पुनः शिक्षण द्वारा कराया जाता है। इस सोपान को पुनः शिक्षण सत्र कहते हैं।
पुनः प्रतिपुष्टि
पुनः शिक्षण के उपरांत प्रवेक्षक द्वारा छात्राध्यापक को प्रतिपुष्टि प्रदान की जाती है इस प्रक्रिया द्वारा छात्राध्यापक निरन्तर अपनी कमियों में सुधार लाता है।
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ReplyDeleteसूक्ष्म शिक्षण क्या है परिभाषा
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