अनुसंधान परिकल्पना का अर्थ, परिभाषा, विशेषता प्रकार आदि
अनुसंधान परिकल्पना ( Research Hypothesis )
आधुनिक समय में किये जाने वाले अनुसंधान कार्य मूल रूप में सुकरात के द्वारा प्रतिपादित बौद्धिक न्याय सूत्र ( Categorical Syllogism ) तथा बेकन के अगमनात्मक तर्क ( Inductive Reasoning ) के संयोजन से विकसित की गई वैज्ञानिक विधि पर आधारित रहते हैं । बौद्धिक न्याय सूत्र में मुख्य आधार - वाक्य ( Major Premise ) , लघु आधार - वाक्य ( Minor Premise ) तथा निष्कर्ष ( Conclusion ) नामक तीन अभिकथन होते हैं जो परस्पर तार्किक रूप से सम्बन्धित रहते हैं । मुख्य आधार - वाक्य किसी सार्वभौमिक प्रकृति की सूचना का द्योतक होता है जबकि लघु आधार - वाक्य कोई विशिष्ट उदाहरण होता है एवं इन दोनों के परस्पर सम्बन्ध से विशिष्ट उदाहरण के बारे में निष्कर्ष निकाला जाता है । इसके विपरीत अगमनात्मक तर्क विशिष्ट स्थितियों से सामान्यीकृत स्थिति की ओर प्रवृत्त होता है । इन दोनों के संयोग से जिस वैज्ञानिक विधि का उद्भव हुआ है उसमें मुख्य आधार - वाक्य को परिकल्पित अभिकथन से प्रतिस्थापित करके विशिष्ट उदाहरणों द्वारा उसकी पुष्टि करने का प्रयास किया जाता है । इस प्रकार के परिकल्पित अभिकथनों को परिकल्पना या उपकल्पना कहा जाता है । प्रस्तुत अध्याय में अनुसंधान परिकल्पना एवं उसके निर्माण की चर्चा की जा रही है ।
अनुसंधान परिकल्पना का अर्थ ( ( Meaning of Research Hypothesis )
परिकल्पना शब्द अंग्रेजी के Hypothesis शब्द का हिन्दी अनुशीलन है । अंग्रेजी शब्द Hypothesis वास्तव में दो शब्दों यथा Hypo तथा Thesis से मिलकर बना है । शब्द Hypo सामान्य से कम की ओर संकेत करता है जबकि Thesis शब्द को स्थापित व प्रमाणित प्रतिलिपि , कथन या प्रस्ताव ( Proposition ) के लिए प्रयुक्त किया जाता है । अतः परिकल्पना ( Hypothesis ) शब्द से तात्पर्य सामान्य से कम स्थापित या प्रमाणित प्रस्ताव या कथन या प्रतिलिपि से है । दूसरे शब्दों में परिकल्पना सुझाया गया तात्कालिक कथन या प्रस्ताव ( Proposition ) होता है जो पुष्टि होने पर सिद्धान्त के रूप में परिवर्तित हो जाता है । परिकल्पना को उपकल्पना अथवा प्राकल्पना के रूप में कभी - कभी लिखा जाता है ।
अनुसंधान कार्य हेतु समस्या का चयन करने के उपरान्त अनुसंधानकर्ता का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य अनुसंधान परिकल्पनाओं का निर्माण करना होता है । निःसन्देह सम्पूर्ण अनुसंधान कार्य एक लम्बी यात्रा के सादृश्य होता है एवं जिस बिन्दु से अनुसंधानकर्ता अपने अनुसंधान कार्य के वास्तविक क्रिया - कला पों के द्वारा अपनी अनुसंधान यात्रा का प्रारम्भ करता है वह परिकल्पना ही होती है ।
वस्तुतः जिस प्रकार रात्रि में भटके यात्रियों को ध्रुवतारा रास्ते का अनुमान है ठीक उसी प्रकार अनुसंधान समस्या में दिग्भ्रमित अनुसंधानकर्ता को उसकी परिकल्पना अनुसंधान की राह सुझाती है । वैज्ञानिक अनुसंधानों में परिकल्पना का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । परिकल्पना के अभाव में अनुसंधानकर्ता ज्ञान - विज्ञान के संसार में इस प्रकार से भटक जाता है जिस प्रकार से रास्ता मालूम न होने पर शहर आया कोई ग्रामीण व्यक्ति किसी महानगर में दिग्भ्रमित हो जाता है । परिकल्पना अनुसंधानकर्ता को अनुसंधान की दिशा में निर्देशित करती है . एवं इससे उसे अपने अनुसंधान कार्य को करने की एक स्पष्ट , व्यवस्थित व निश्चित योजना बनाने में मदद मिलती है । परिकल्पना के बिना वह महासागर में भटके नाविक की तरह से अनायास ही इधर - उधर हाथ - पैर फेंकता रहता है । परिकल्पना के अभाव में वैज्ञानिक विधि से अनुसंधान कार्य करना सम्भव नहीं होता है । परिकल्पना ही किसी अनुसंधान की व्यूह - रचना ( Strategy ) बनाने का आधार होती है एवं अनुसंधानकर्ता को अपने अनुसंधान की कार्य योजना से सम्बन्धित विभिन्न निर्णय लेने में सहायता करती । वस्तुतः अनुसंधान समस्या प्रायः अमूर्त , अनिश्चित व विस्तृत क्षेत्र वाली होती है जिसे एक अनुत्तरित प्रश्न के रूप में प्रस्तुत किया जाता है । इसके विपरीत परिकल्पना एक कामचलाऊ या अनुमानित उत्तर होता है जिसकी प्रकृति मूर्त , निश्चित व सीमित क्षेत्र वाली होती है । परिकल्पना सदैव समस्या पर आधारित होती है । वास्तविक अनुसंधान कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व चिन्तन - मनन के आधार पर समस्या के अपेक्षित समाधान के बारे जो अवधारणा बनती है वही परिकल्पना है । समस्या की प्रारम्भिक जानकारी , सम्बन्धित साहित्य के अवलोकन , पूर्व निरीक्षित अनुभव , सूझ व गैर - परम्परागत चिन्तन आदि के आलोक में परिकल्पना का निर्माण किया जाता है । परिकल्पना की सहायता से अध्ययन क्षेत्र को सीमित व विशिष्ट बनाते हुए वास्तविक अनुसंधान कार्य की रूपरेखा का निर्धारण किया जाता है जो सम्पूर्ण अनुसंधान के दौरान अनुसंधानकर्ता को सही मार्ग पर आगे बढ़ाती है । विद्वानों के द्वारा अनुसंधान परिकल्पना को कई विभिन्न ढंगों से परिभाषित किया गया है । इनमें से कुछ परिभाषाएं अग्रांकित प्रस्तुत की गई हैं ।
विद्वानों के द्वारा परिभाषा
जी.ए. लुन्डबर्ग के अनुसार "परिकल्पना एक ऐसा अन्तरिम सामान्यीकरण है जिसकी वैधता की जाँच की जाती है । अपने प्रारम्भिक स्तर पर परिकल्पना एक अटकल , अनुमान , या काल्पनिक विचार हो सकता है , जो भावी अध्ययन के लिए आधार बनता है ।"
डब्ल्यू . जी . गुड एवं पी . के . हॉट के शब्दों में "परिकल्पना एक प्रतिज्ञप्ति है जिसे इसकी वैधता जानने के लिए परीक्षित किया जा सकता है । यह सही या गलत सिद्ध हो सकता है । "
A hypothesis is a proposition which can be put to a test to determine its validity . It - W.G. Good and P.K. Hatt may prove to be correct or incorrect .
एफ . जे . मैकगुएन ने परिकल्पना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा है "कि परिकल्पना दो या अधिक चरों के बीच सम्भावित सम्बन्ध का एक परीक्षणीय कथन है ।"
A hypothesis is a testable statement of a potential relation between two or more variables . - F.J. Mc Guigan .
फ्रेड . एन . करलीनगर के शब्दों में "परिकल्पना दो या अधिक चरों के मध्य सम्बन्ध का अनुमानात्मक अभिकथन होती है ।"
A hypothesis is a conjectural statement of the relation between two or more variables . - Fred . H. Kerlinger .
डेविड आर . कुक के अनुसार "कोई अनुसंधान परिकल्पना किसी सिद्धान्त अथवा पूर्व अनुसंधान पर आधारित अपेक्षित परिणामों का अभिकथन होती है ।"
A research hypothesis is the statement of expected outcomes that is based on theory or previous research . - David R.Cook .
डी . बी . वान डलेन के शब्दों में परिकल्पनाएँ "संस्तुत समस्या समाधान होते हैं जिन्हें सामान्यीकरणों या प्रतिज्ञप्तियों के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है ।"
Hypothesis are suggested problem solutions which are expressed as generalizations or propositions . - D.B. Van Dalen
चैपलिन के अनुसार "अनुसंधान की परिकल्पना एक अभिधारणा होती है जो अन्तरिम स्पष्टीकरण का कार्य करती है ।"
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